मन्वन्तर
मन्वन्तर
मन्वन्तर, मनु, हिन्दू धर्म अनुसार, मानवता के प्रजनक, की आयु होती है। यह समय मापन की खगोलीय अवधि है। मन्वन्तर एक संस्कॄत शब्द है, जिसका संधि-विच्छेद करने पर = मनु+अन्तर मिलता है। इसका अर्थ है मनु की आयु।
प्रत्येक मन्वन्तर एक विशेष मनु द्वारा रचित एवं शासित होता है, जिन्हें ब्रह्मा द्वारा सॄजित किया जाता है। मनु विश्व की और सभी प्राणियों की उत्पत्ति करते हैं, जो कि उनकी आयु की अवधि तक बनती और चलती रहतीं हैं, (जातियां चलतीं हैं, ना कि उस जाति के प्राणियों की आयु मनु के बराबर होगी). उन मनु की मॄत्यु के उपरांत ब्रह्मा फ़िर एक नये मनु की सृष्टि करते हैं, जो कि फ़िर से सभी सृष्टि करते हैं। इसके साथ साथ विष्णु भी आवश्यकता अनुसार, समय समय पर अवतार लेकर इसकी संरचना और पालन करते हैं। इनके साथ ही एक नये इंद्र और सप्तर्षि भी नियुक्त होते हैं।
चौदह मनु और उनके मन्वन्तर को मिलाकर एक कल्प बनता है। यह ब्रह्मा का एक दिवस होता है। यह हिन्दू समय चक्र और वैदिक समयरेखा के नौसार होता है। प्रत्येक कल्प के अन्त में प्रलय आती है, जिसमें ब्रह्माण्ड का संहार होता है और वह विराम की स्थिति में आ जाता है, जिस काल को ब्रह्मा की रात्रि कहते हैं।
इसके उपरांत सृष्टिकर्ता ब्रह्मा फ़िर से सृष्टिरचना आरम्भ करते हैं, जिसके बाद फ़िर संहारकर्ता भगवान शिव इसका संहार करते हैं। और यह सब एक अंतहीन प्रक्रिया या चक्र में होता रहता है।
सृष्टि कि कुल आयु : 4294080000 वर्ष इसे कुल 14 मन्वन्तरों मे बाँटा गया है।
वर्तमान मे 7वें मन्वन्तर अर्थात् वैवस्वत मनु चल रहा है. इस से पूर्व 6 मन्वन्तर जैसे स्वायम्भव, स्वारोचिष, औत्तमि, तामस, रैवत, चाक्षुष बीत चुके है और आगे सावर्णि आदि 7 मन्वन्तर भोगेंगे।
1 मन्वन्तर = 71 चतुर्युगी
1 चतुर्युगी = चार युग (सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलियुग)
चारों युगों की आयु :-- सतयुग = 1728000 वर्ष
त्रेतायुग = 1296000 वर्ष द्वापरयुग = 864000 वर्ष और कलियुग = 432000 वर्ष
1 चतुर्युगी की कुल आयु = 1728000+1296000+864000+432000 = 4320000 वर्ष
अत :1 मन्वन्तर = 71 × 4320000
(एक चतुर्युगी) = 306720000 वर्ष
चूंकि एेसे - एेसे 6 मन्वन्तर बीत चुके है
इसलिए 6 मन्वन्तर की कुल आयु = 6 × 306720000 = 1840320000 वर्ष वर्तमान मे 7 वें मन्वन्तर के भोग मे यह 28वीं चतुर्युगी है. इस 28वीं चतुर्युगी मे 3 युग अर्थात् सतयुग, त्रेतायुग, द्वापर युग बीत चुके है और कलियुग का 5115 वां वर्ष चल रहा है |
27 चतुर्युगी की कुल आयु = 27 × 4320000(एक चतुर्युगी) = 116640000 वर्ष और 28वें चतुर्युगी के सतयुग , द्वापर , त्रेतायुग और कलियुग की 5115 वर्ष की कुल आयु = 1728000+1296000+864000+5115 = 3893115 वर्ष इस प्रकार वर्तमान मे 28 वें चतुर्युगी के कलियुग की 5115 वें वर्ष तक की कुल आयु = 27वे चतुर्युगी की कुल आयु + 3893115 = 116640000+3893115 = 120533115 वर्ष इस प्रकार कुल वर्ष जो बीत चुके है = 6 मन्वन्तर की कुल आयु + 7 वें मन्वन्तर के 28वीं चतुर्युगी के कलियुग की 5115 वें वर्ष तक की कुल आयु = 1840320000+120533115 = 1960853115 वर्ष . अत: वर्तमान मे 1960853115 वां वर्ष चल रहा है और बचे हुए 2333226885 वर्ष भोगने है जो इस प्रकार है ... सृष्टि की बची हुई आयु = सृष्टि की कुल आयु - 1960853115 = 2333226885 वर्ष | यह गणना महर्षिदयानन्द रचित ऋग्वेदादिभाष्य भूमिका के आधार पर है।
श्वेतवाराह कल्प के मनु
मन्वन्तर मनु सप्तर्षि
प्रथम स्वायम्भु मनु मरीचि, अत्रि, अंगिरस, पुलह,कृतु, पुलस्त्य और वशिष्ठ
द्वितीय स्वरोचिष मनु उर्जा, स्तम्भ, प्राण, दत्तोली, ऋषभ, निश्चर एवं अर्वरिवत
तृतीय औत्तमी मनु वशिष्ठ के पुत्र: कौकुनिधि, कुरुनधि, दलय, सांख, प्रवाहित, मित एवं सम्मित
चतुर्थ तामस मनु ज्योतिर्धाम, पृथु, काव्य, चैत्र, अग्नि, वानक एवं पिवर
पंचम रैवत मनु हिरण्योर्मा, वेदश्री, ऊर्द्धबाहु, वेदबाहु, सुधामन, पर्जन्य एवं महामुनि
षष्टम चाक्षुष मनु सुमेधस, हविश्मत, उत्तम, अभिनमन, सहिष्णु एवं मधु
सप्तम वैवस्वत मनु कश्य, अत्रि, वशिष्ठ, विश्वामित्र, गौतम, जमदग्नि, भारद्वाज
भविष्य के मनु और सप्तऋषि
अष्टम सावर्णि मनु दीप्तिमत, ग्सलवा, परशुराम, कृपा, द्रोणि या अश्वत्थामा, व्यास और ऋषिरिंग।
नवम दक्ष सावर्णि मनु सावन, द्युतिमत, भव्य, वासु, मेधतिथी,ज्योतिष्मान, और सत्य।
दशम ब्रह्म सावर्णि मनु हाविष्मां, सुकृति, सत्य, अपममूर्ती, नाभाग, अप्रतिमुजस और सत्यकत्तु।
एकादश धर्म सावर्णि मनु निश्चर, अग्नितेजस,वपुष्मां, विष्णु, अरुनी, हाविष्मां एवं अनाघ।
द्वादश रुद्र सावर्णि मनु तपस्वी, सुतापस, तापोमूर्ति, तापोरती, तापधृति, तपोद्युति और तपोधन
त्रयोदश रौच्य या निर्मोह, तत्वदर्शिन, देव सावर्णि मनु निश्राकाम्पा, निरुत्सुका, धृतिमत, अव्यय और सुतापस।
चतुर्दश भौत्य अग्नि, सुची, औकरा, इन्द्र सावर्णि मनु मग, ग्रिधरा, युकत्ता और अजिता।
Comments
Post a Comment